Saturday 22 September 2012

अष्टविनायक यात्रा - बालेश्वर गणेश



तिथि: २१ सितम्बर २०१२

पोस्ट: ३

स्वागत दोस्तों, मे ये आशा करा रहा हू के आप सब मेरे लिखे हुए पोस्ट पढ़ रहे हैं और उसे पसंद कर रहे हैं अब तक मेने आपको अष्टविनायक के दो रुपोके बारेमे जानकारी दी हैं आज मे आपको अष्टविनायक के तीसरे रूप बालेश्वर गणेशके बारेमे जानकारी देनेकी कोशिश करूँगा


बालेश्वर गणेश

बालेश्वर गणेश मंदिर मुंबई-गोवा हाइवे पर नागोथाने गाव से ११ किलोमीटर पहले पाली गाव मैं स्थित हैं. यहासे सबसे नजदीक करजत रेल्वे स्टेशन. इस जगह जानेके लिए मुंबईसे दो रस्ते चलते हैं एक रास्ता मुंबई-पनवेल-खोपोली-पालि का हैं जो १२४ किलोमीटरका हैं और दूसरा रास्ता मुंबई-लोनावला-खोपोली-पालि का हैं जो १११ किलोमीटरका हैं.

इस मंदिरके पीछे एक छोटे बच्चेकी कहानी जुडी हुई हैं, और मेरे हिसाबसे अगर मैं आपको वो कहानी नहीं बताऊंगा तो मेरा ये पोस्ट लिखना व्यर्थ होगा. कहानीकी शुरुआत पालिपुर के कल्याणशेठ और उनकी पत्नी इंदुमती के साथ होती हैं. विवाहके बाद काफी समय तक इनको कोई बच्चा नहीं था और फिर यह पति-पत्नी के जीवनमे एक बच्चेका आगमन होता हैं जो बालालके नामसे जाना जाता हैं. बालाल गणेशजीका बहुत बड़ा भक्त होता हैं और इसी लिए वोह अपना काफी वक्त गणेशजीकी आराधनामे व्यथित करता था. यह बात उसके पिताको कतई पसंद नहीं थी. एक दिन बालाल जंगलमें गणेशजीकी आराधनामैं मग्न था तब उसके पीताने आके उसकी आरधना भंग करदी और गणेशजी एक मूर्तिभी तोड़ दी (जो मूर्ति आज धुंदी विनायकके नामसे जनि जाती हैं और वो भी पालिमें ही स्थित हैं) और उसे एक पेड़ पे टांग दिया. पेड़पे टंगे होनेके बावजूद बालालने गणेशजीकी आराधना करना नहीं छोडा और उसकी यह भक्तिको देख गणेशजी प्रगट हुए और उसे वरदान दिया. बालालने अपने वर्दानमें गणेशजीको पालिपुर्में हमेशाके लिए रुकने को कहा बालालकी यह बात सुनके गनेश्जिने उसको एक और वरदान दिया और कहा आजेसे यहाँ जगह बालेश्वरके नामसे जनि जाएगी और तबसे पालिमैं(पालीपुर) गणेशजीकी स्थापना हो गई.

यह गणेश मंदिरका मुख पूर्व दिशाकी और हैं और यहाँ कुल दो मंदिर हैं यह मंदिर पेहली लकड़ेका हुआ करता था पर १७६० मैं नाना फदनाविसने इस मंदिरको पत्थरसे वापिस निर्माण किया. यहाँ पे मंदिरकी और दो छोटे तालाबभी हैं जिसमे से एक तालाबका इस्तेमाल सिर्फ गणेशजीकी पूजाके लिए किया जाता हैं. इस मंदिरकी खूबसूरती इसके ८ स्तंभ और बढाते हैं, इस मंदिरकओ इस तरहसे बनाया गया हैं की शर्दिके मौसंके बाद सूर्योदयके समय सूरजकी किरणें सीधी गणेशजीके मुख पर आती हैं.

कई और मुर्तिओकी तरह गणेशजीकी इस मुर्तिकोभी हीरोकी आँखसे सजाया गया हैं, गणेशजीकी यह मूर्तिकी सूढ बाई औरकी और हैं और यहकी एक और खास बात यह हैं की यहाँ गणेशजी को प्रसादमैं मोदक नहीं बल्कि बेसनके लड्डू चढ़ाये जाते हैं. इस मूर्ति का रु इस मंदिर के पीछे आये हुए पहाड़ जेसा हैं.


बालेश्वर गणेश मंदिर और प्रतिमाकी तस्वीरें









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