Thursday 20 September 2012

अष्टविनायक यात्रा - सिद्धिविनायक गणेश



तिथि: २० सितम्बर २०१२ -

पोस्ट: २
 
कल पहले पोस्टके बाद मेरे कइ दोस्तोने मुझसे दरखास्तकी के कुपा करके मैं अपने पोस्ट हिंदी मे लिखू ताकि सभीलोग पढ़ शके इसीलिये आजसे मैं अपने सभी पोस्ट हिंदी मैं लिखूंगा.

जेसे के आप सब जानते हैं के मेने आप सबको दुनियाकी दिलचस्प जगहोंके बारेमे बताने का वादा किया है और मैंने अपने पहले पोस्ट मैं अष्टविनायक के पहले रूप मयूरेश्वर गणेशके बारेमे जानकारी दी. आजके इस दुसरे पोस्ट मैं आपको अष्टविनायक के दुसरे रूप सिद्धिविनायक गणेशके बारेमे जानकारी देनेकी कोशिश करूँगा.

सिद्धिविनायक गणेश

सिद्धिविनायक गणेश अहमदनगर जिल्लेमे श्रीगोंदा शहरसे ४८ किलोमीटर दूर भीमा नदीके पास सिद्धटेकमे स्थापित है. यह जगह पुणे-सोलापुर हाईवे पर आई हुई हैं, इस जगहसे सबसे नजदीकी रेल्वे स्टेशन पुणे-सोलापुर रेल्वे लाईनका दाउनद रेल्वे स्टेशन हैं जो १८ किलोमीटर दूर हैं.


एक कहानीके अनुसार यहापे गणेशजीकी स्थापनाके बाद विष्णुजीने मधु और कैताभ राक्षसका वध किया था, और यहभी माना जाता हैं के दो बड़े ऋषिमुनि श्री मोर्य गोसावी और श्री नारायण महाराज जोके केद्गावके रहनेवालेथे उनको मोक्ष यही पे मिला था.

अष्टविनायकके आठो रूपमे सिर्फ सिद्धिविनायक गणेशकी प्रतिमाकी सुंढ दाइ और हैं यह मूर्ति ३ फिट लम्बी और २.५ फिट चोदी हैं. यह मूर्ति उत्तर दिशा मुखी हैं. यह मंदिरकी खास बात यह हैं की इस मंदिरका मुख उत्तर दिशाकी और हैं, यह मंदिर एक पहाड़की टेकरी जेसी जगह पर आया हुआ हैं, एसा माना जाता हैं की इस मंदिर की और जानेवाली मुख्य सड़क पेश्वाके जनरल हरिपांत फाड़केजीने बनवाई थी. यह मुख्य मंदिर के अन्दरका दुसरा मंदिर १५ फिट लम्बा और १० फिट चोदा हैं. इस मंदिरकी प्रदक्षिणा करनेके लिए पहाडकी पूरी टेकरी घूमना पड़ेगा और जिसमे कम से कम ३० मिनिटका समय लग सकता हैं.

इस मंदिरके साथ कई कहानिया जुडी हुई हैं जिसमेसे जो सबसे ज्यादा चर्चित हैं वो कहानी पेश्वाके साथ जुडी हुई हैं कहा जाता हैं के पेशवा अपनी जनरलकी पदवी खो चूका था तब उसने इस मंदिर्की २१ प्रदक्षिणाकी और २१ दिन बाद उसको अपने उसी मान सन्मान के साथ पदवी वापस मिली थी.

सिद्धिविनायक गणेश मंदिर और प्रतिमाकी तस्वीरें









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