Friday 28 September 2012

अष्टविनायक यात्रा - महागणपति गणेश मंदिर



तिथि: २९ सितम्बर २०१२

पोस्ट: ६

आज गणेश उत्सवका आखरी दिन यानिकी गणेश विसर्जन और आज हम सबके प्यारे बाप्पा हम सबसे इस सालके लिए विदाय लेगे. और आज मैं आप सबको अष्टविनायक के आखरी रुप महा गणपति के बारेमे जानकारी दूंगा.

महागणपति गणेश मंदिर

महागणपति गणेश मंदिर पुणे-नागपुर हाइवे पर पुणे शहरसे ५० किलोमीटर दूर आये हुए रंजन्गाव्मे बिराजमान हैं.

कहा जाता हैं की इस जगह पर शिवजीने त्रिपुर्सुरा राक्षसके साथ युद्ध करनेसे पहेले गणेशजीकी पूंजाकी थी और फिर यहापे मंदिरभी बनाया था तब यह जगह मणिपुर के नामसे जनि जाती थी पर आज इसे लोग रंजन्गाव कहते हैं. इस मंदिरका निर्माण इस तरहसे किया गया हैं की सूरजकी किरने गणेशजीकी मूर्ति पर सीधे गिरे. यह मंदिर्की वास्तुकला आपको ९वि और १०वि शताब्दीकी याद ताजा करवाती हैं. श्रीमत माधवराव पेशवा इस मंदिरमें अक्सर पूजाके लिए आतेथे और उन्होंने इस गणेश मुर्तिके आसपास पवित्र पत्थर बनवाया था. १७९०मे श्री अन्य्बा देव इस मुर्तिकी पूजा करनेके लिए अधिकृत थे.

यह मंदिर पूर्वमुखी हैं, इस मंदिरका मुख्य द्वार काफी भव्य हैं और जय और विजय की दो मुर्तिया इसकी रक्षा कर रही हैं. इस मंदिरके महागणपतिकी मुर्तिभी पूर्वमुखी हैं. यह मूर्ति पैर पर पैर रखके एक व्यापक मस्तिस्कके साथ अपनी सूढं बाई और इशारा करते हुए बिराजमान हैं, कहा जाता हैं की इसकी मूल मूर्ति तहखानेमे हैं जिसको १० सूढं और २० हाथ हैं और उसे महोत्कत कहा जाता हैं. लेकिन मंदिरके अधिकारी एसी किसिभी मुर्तिके होनेसे इनकार करते हैं.

महागणपति गणेश मंदिर और प्रतिमाकी तस्वीर








अष्टविनायक यात्रा - चिंतामणि गणेश - गिरजामत गणेश - विघ्नेश्वर/विघ्नहर गणेश



तिथि: २८ सितम्बर २०१२

पोस्ट: ५

दोस्तों मैं आप सबसे क्षमा चाहता हू क्यूंकि व्यस्तता के कारण मैं आपको हररोज पोस्ट नहीं दे पा रहा हू पर मैं ये कोशिश करूँगा के आपको ज्यादा से ज्यादा पोस्ट दे पाऊ आज मैं आपको अष्टविनायक के बाकीरुपोकी जानकारी देनेकी कोशिश करूँगा. आज मैं आपको चिंतामणि गणेश मंदिर और गिरजामत गणेश और विघ्नेश्वर/विघ्नहर गणेशजी मंदिरके बारेमे बताऊंगा.

चिंतामणि गणेश मंदिर

चिंतामणि गणेश मंदिर पुणे-सोलापुर हाइवे पर पुणे शहरसे २२ किलोमीटर दूर थेउर गावमे स्थित हैं. कहा जाता हैं की थेउरगावमे महाराष्ट्र राज्यकी तिन नदियां मुला, मुथा और भीमा का संगमभी होता हैं. और अष्टविनायक के सभी मंदिरोमेसे यह मंदिर पुणे शहरसे सबसे नजदीक हैं.

माना जाता हैं की चिंतामणिका हिरा गुना नामक लालची व्यक्तिके पास था जो गणेशजी बुद्धिमानी कपिलाके लिए लेके आएथे पर बादमे वह हिरा कपिलाने गणेशजीके गलेमे फिट कर दिया था, इसीलिये इस गणेशको चिंतामणि गणेश कहा जाता हैं. यह पूरा वाकया कदम्के पेड़के निचे हुआ था इसलिए थेउर पुराने ज़मानेमे कदमनगरके नामसे भी जाना जाता था.

यह मंदिर उत्तर दिशा मुखी हैं. बाहरका लकडेका सभाखंड पेशवाने बनवाया था. कहा जाता हैं की मुख्य मंदिर धारानिधर महाराज देवने १०० साल पहले बनवाया था. इस मंदिर की मूर्तिकी सूढं बाई और हैं, इस मुर्तिकी आँख हिरोसे जडित हैं और यह मूर्ति पूर्वमुखी हैं.

चिंतामणि गणेश मंदिर और प्रतिमाकी तस्वीर








जानिए अष्टविनायकके छठा रूप गिरजामत गणेशके बारेमे.

गिरजामत गणेश मंदिर

गिरजामत गणेशजीका मंदिर पुणे शहरसे ९४ किलोमीटर दूर पुणे-नाशिक हाइवे पर नारायणगाव लेन्यादरीमे आया हुआ हैं. इस मंदिरसे सबसे नजदीकी रेल्वे स्टेशन तालेगाव हैं जो ५ किलोमीटरकी दुरी पर हैं. इस मंदिरसे ६ किलोमीटरकी दुरी पर शिवनेरी आया हुआ हैं जहापे छत्रपति शिवाजी महाराजका जन्म हुआ था.

यह माना जाता हैं की यहाँ जिस जगह गणेशजी बिराजमान हैं वहा पार्वतीजीने तपस्या की थी इसीलिये इस गणेश का नाम गिरजाका (पार्वतीका) आत्मज (पुत्र) यानिकी गिरजामत. यह मंदिर बौद्ध मूल के १८ गुफाओं की एक गुफा परिसर के बीच में खड़ा है. जो को आठवी गुफा है. इस गुफाओको गणेश पेनिभी कहा जाता हैं. यह मंदिर एक पत्थरकी पहाड़ीमेसे खोदके बनाया गया हैं इस मंदिर तक पहुचनेके लिए को आपको ३०७ कदम का फासला तय करना पड़ता हैं. इस मंदिरमे एक सभाखंड हैं जो ५३ फिट लंबा, ५१ फिट चोदा और ७ फिट उंचा हैं और इसकी खास बात ये हैं की इसको समर्थन देनेके लिए कोईभी खंभे नहीं हैं.

गिरजामत गणेशजीकी मूर्ति उत्तर मुखी हैं और मुर्तिकी सूढं बाई और हैं और इस प्रतिमाकी पूजा मदिरके पिछेसे की जाती हैं. यह मंदिर दक्षिणमुखी हैं. यह मूर्ति अश्थ्विनायककी बाकी मुर्तिओसे काफी अलग लगती हैं एसा लगता हैं की इसको अच्छी तरहसे तरासा नहीं गया हैं. इस मुर्तिकी पूंजा कोईभी कर शकता हैं. इस मन्दिरमे एकभी बिजलीके बल्ब नहीं हैं. इस मंदिरका निर्माण इस तरहसे किया गया हैं की दिनके दोरान यह मदिर हमेशा सूरजकी धूपसे घिरा होता हैं.

गिरजामत गणेश मंदिर और प्रतिमाकी तस्वीर


जानिए अष्टविनायकके सातवे रूप विघ्नेश्वर/विघ्नहर गणेशके बारेमे.

विघ्नेश्वर/विघ्नहर गणेश मंदिर

विघ्नेश्वर/विघ्नहर गणेश मंदिर पुणे-नासिक हाइवे पर ओझर शहरमे आया हुआ हैं, यह मंदिर चारो औरसे उंची पत्थरकी दिवारोसे घिरा हैं और इसका शिखर सोनेका बना हैं. यह मंदिर कुकड़ी नदीके किनारे पर स्थित हैं. वाया मुंबई - ठाणे - कल्याण - बापसी - सराल्गाव ओतूर- ओज़र १८२ किमी दूर है.

एक कहानीके मुताबिक विघ्नासुर राक्षसको देवताके राजा इंद्र द्वारा राजा अभिनंदन द्वारा आयोजित प्रार्थना को नष्ट करने के लिए बनाया गया था, हालांकि, दानव एक कदम आगे चला गया और सभी वैदिक, धार्मिक कार्यको नष्ट कर दिया, उसी समय लोगोकी प्राथनासे प्रसन्न होके गणेशजी उसका वध करने के लिए आये थे पर कहानी के मुताबिक राक्षसने गणेशजीको विनंती करके दया बक्षने के लिए कहा था, उस समय गणेशजीने उसको बक्ष दिया था परंतु एक शर्त रखी थी और वो येथी के जहा गणेश पूजा हो रही हाई वहा वो राक्षस नहीं जा पाएगा और उसके बदलेमे राक्षसने गणेशजी से यह वरदान माँगा था की आपके साथ मेरे नामभी जुड़ना चाहिए और तबसे यहाँ गणेशजीको विघ्नेश्वर/विघ्नहर गणेशजी के नामसे जाना जाता हैं. यहाँ के गनेशको श्री विघ्नेश्वर विनायकभी कहा जाता हैं.

यह मंदिर पूर्वमुखी हैं और एक मोती पत्थरकी दिवारसे घिरा हुआ हैं और यह दिवार इतनी बड़ी हैं के कोई उसपे चलभी सकता हैं. मंदिरका मुख्य सभाखंड २० फिट और अंदरका छोटा सभाखंड १० फिट लंबा हैं. यहाँकी मूर्ति पूर्वमुखी हैं और सूढं बाई और हैं और आँख मे रूबी लगा हुआ हैं. मूर्तिके माथेमे एक हिरा लगा हुआ हैं और नाभिमे भी कुछ गहने हैं. रिद्धि और सिद्धि की मूर्तिया गणेशजीके दोनो बाजु बिराजमान हैं. यह माना जाता हैं की इस मंदिर का शीर्ष सोनेका बना हुआ हैं और उसे १७८५के आसपास चिमाजी अप्पा द्वारा वसई और साष्टीके पुर्तगाली शासकों को पराजित करने के बाद बनवाया गया था.


विघ्नेश्वर/विघ्नहर गणेश मंदिर और प्रतिमाकी तस्वीर



Tuesday 25 September 2012

अष्टविनायक यात्रा - वरद विनायक गणेश




आज के मेरे इस पोस्टमें मैं आप सबको अष्टविनायक के चौथे रुप वरद विनायक गणेशके बारेमे जानकारी दूंगा

वरद विनायक गणेश
यह मंदिर मुंबई-पुणे हाइवे पर पुणे शहरसे ८० किलोमीटर दूर आये हुए खोपोलीके पास महाद मे स्थित हैं. इस जगहसे सबसे नजदीकी कर्जत रेल्वे स्टेशन हैं जो २४ किलोमीटरकी दुरी पर आया हुआ हैं.

हर मंदिरकी तरह इस मंदिरके पीछेभी एक कहानी छुपी हुई हैं. कहा जाता हैं की १६९० मै वरद विनायक गणेशजी की मूर्ति धोंडू पौदकरजी को तालाबमे से मिलि थि तब इस मुर्तिको तालाबके पास आये हुए ग्रामदेवी मंदिरमे रखा गया था. फिर १७२५ मैं कल्याण सुन्दर श्री रामजी महादेव बिवाल्करने वरद विनायाक्के मंदिरको बनवाया था जो एक छपरेसे बने हुए घर जेसा दीखता था पर अभी फिरसे मंदिरको नया बनाया गया हैं. यह मंदिर पूर्वमुखी हैं और पश्चिमकी और भगवानका तालाब आया हुआ हैं.

यहाँ स्थापित गणेश मूर्ति पूर्वमुखी हैं गणेशजी की सुंढ बाई और हैं. इस मंदिरमें एक अखंड दीपज्योत जल रही हैं जो कहा जाता हैं की १८९२से जल रही हैं. यहाँ ४ हाथीकी प्रतिमा मंदिरकी चार दिशाओमे स्थापित हैं. मंदिरका सभाक्क्ष ८ फीट - ८ फीटका हैं. मंदिर का गुमंट २५ फिट ऊँचा हैं और गुमंटके कलश उपर सोनेका ढोल चढ़ा हुआ हैं. अष्टविनायक के सभी मंदिरमेंसे सिर्फ यही एक एसा मंदिर हैं के जहा पर हर कोई गणेशजीकी प्रतिमको अपने हाथोसे छूकर पूजा कर शकता हैं.

यहाँ महाद मैं गणेशजीके आलावा और मंदिरभी हैं जिसमे शिवजीका मंदिर, विष्णुजी, गणेशजी दत्त मंदिर और सूर्यपुत्र शानिदेवके मंदिरका समावेश होता हैं.

वरद विनायक गणेश मंदिर और प्रतिमाकी तस्वीरें